Laal Rekha

About The Book

एक प्रेम कथा जो राष्ट्रभक्ति की रेखा पार नहीं करती लाल रेखा कुशवाहा कांत की प्रतिनिधि कृतियों में से एक है जिसमें समाज की विडंबनाओं मानवीय रिश्तों और नैतिक प्रश्नों को तीखे यथार्थ के साथ प्रस्तुत किया गया है। उपन्यास में पात्रों के संघर्ष उनके सपनों और टूटन को जिस गहराई से चित्रित किया गया है वह इसे केवल एक कहानी नहीं बल्कि सामाजिक चेतना का दस्तावेज़ बना देता है। इस उपन्यास की सबसे बड़ी विशेषता है लेखक की सरल किन्तु प्रभावशाली भाषा और यथार्थ को बिना आडंबर के सामने रखने की क्षमता। लाल रेखा पाठकों को न सिर्फ़ कथा में बाँध लेता है बल्कि उन्हें सोचने पर मजबूर करता है कि समाज की समस्याएँ संघर्ष और विषमताएँ किस प्रकार हर वर्ग के जीवन को प्रभावित करती हैं।
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