Ladies Coupe
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About The Book

अखिलंदेश्वरी से मिलें संक्षेप में अखिलाः पैंतालीस साल की अकेली इंकम टैक्स क्लर्क और एक औरत जिसे कभी अपनी जिंदगी जीने की इजाज़त नहीं मिली-हमेशा किसी की बेटी बहन मौसी पालिता रही। फिर एक दिन वह समंदर किनारे बसे शहर कन्याकुमारी के लिए एक ओर का टिकट ले आती है ज़िंदगी में पहली बार शानदार ढंग से अकेली रहती है और निश्चय करती है कि वह खुद को हर उस बंधन से आज़ाद कर लेगी जिससे रूढ़िवादी तमिल ब्राह्मण ज़िदंगी ने उसे बांध रखा है। लेडीज़ कूपे में पांच अन्य महिलाओं के साथ अंतरंग वातावरण में अखिला अपनी साथी यात्रियों को जानती है जानकी लाड़ली बीवी और परेशान मां मारग्रेट शांति कैमिस्ट्री टीचर जिसकी शादी तत्वों के काव्य ओर गैरजज़्बाती तानाशाह से होती है प्रभादेवी एक पूर्ण बेटी और पत्नी जिनका जीवन स्विमिंग पूल की झलक देख कर बदल जाता है चौदह साल की शीला जो वह देख सकती है जो दूसरे नहीं देख पाते और मारीकोलंत जिसकी मासूमियत को हवस की एक रात नष्ट कर देती है। दूसरी स्त्रियों की कहानी सुनते हुए अखिला उनकी जिंदगी के अंतरंग पहलुओं से जुड़ती है उनके भीतर अपने सवाल का जवाब ढूंढ़ती है जो उसके साथ जिंदगी भर जुड़ा रहा है क्या एक औरत अकेली और खुश रह सकती है या औरत को पूर्ण महसूस करने के लिए पुरुष की ज़रूरत है?
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