*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹142
₹170
16% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
काश की में जख्म बन जाऊ और तू मरहम लगे तू जितनी बार मुझपर उतनी ही बार में करहा उठू प्यार से। *** दायरा समझ के बहार का मेरा बस इतना सा ही देखु रब एक सब में । *** मजहब माँ का न पूछो लोगो। उदर मे.. मैं पल रहा था उसके उसने हर मजहब का निवाला मुझको खिलाया था। *** आशा चंपानेरी “टिनू”