Lahasunia : Ek Sampurna Vivran: (लहसुनिया : एक सम्पूर्ण विवरण)


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About The Book

रत्न शब्द का प्रथम प्रयोग ऋग्वेद के प्रथम मंत्र में आता है। यह सत्य है कि रत्न धारण करने से अनेक असाध्य रोग व बीमारियां मिट जाती हैं। दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है। प्रतिकूल ग्रह-गोचरों को अनुकूल बनाया जा सकता है। इतना ही नहीं अपितु सभी प्रकार की उन्नति के लिए भी रत्न धारण करना अत्यंत श्रेयस्कर माना जाता है। रत्न हमें शुभ-अशुभ कार्य होने का पूर्वानुमान भी कराते हैं। ये रत्न जाति धर्म संप्रदाय से हटकर सभी मानव को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।<br>यूं तो रत्नों की संख्याएं बहुत हैं पर प्रमुख रत्न नौ माने गए हैं- हीरा पन्ना मोती माणिक्य मूंगा गोमेद लहसुनिया नीलम और पुखराज। इन रत्नों का ग्रहों से गहरा संबंध है।<br>प्रस्तुत पुस्तक में रत्नों के विषय में जिज्ञासु पाठकों की सभी जिज्ञासुओं शंकाओं को शांत करने हेतु संपूर्ण विवरण विस्तारपूर्वक बताया गया है। निश्चय ही डायमंड बुक्स की यह अनमोल प्रस्तुति है।<br>इसके अतिरिक्त लेखक द्वारा लिखी गई निम्न पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं- वैदिक वास्तु फेंग शुई प्रश्नोत्तरी हस्ताक्षर विज्ञान पहचान आपकी अपनी जन्मपत्री स्वयं पढ़ें और बॉडी लैंग्वेज।
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