“कवि होना ऐसा हैजैसे जीवन के प्रति निष्ठा रखनाहर मुश्किल मेंमानो ख़ुद अपनी उधेड़कर कोमल चमड़ीदेना लहू उड़ेल अन्य लोगों के दिल में”पाश को पढ़ते हुए हर बार सेर्गेई येस्येनिन की ये पक्तियाँ दिलो-दिमाग़ में कौंधती हैं। कवि – एक योद्धा कवि के रूप में पाश आद्यन्त यही करता रहा। जीवन के प्रति उसकी निष्ठा बरकरार रही और कविताओं के ज़रिये वह लोगों के दिलों में अपना लहू उड़ेलता रहा। यह अप्रत्याशित नहीं कि इसकी कीमत उसे अन्ततः अपने लहू से ही चुकानी पड़ी।पाश का क्रान्तिकारी मानवतावाद अन्तिम साँस तक सलामत था। अन्तिम साँस तक वह जीवन संघर्ष सृजन और सौन्दर्य का गायक बना रहा सच्चाई का मेनिफ़ेस्टो पेश करता रहा बग़ावत का ऐलान करता रहा परजीवी शोषक-शासक वर्गों को चुनौती देता रहा भगोड़ों को दुत्कारता रहा और यथास्थितिवाद के मुँह पर थूकता रहा।हिन्दी में पाश का पहला काव्य संकलन ‘बीच का रास्ता नहीं होता’ शीर्षक से पाश की शहादत से ठीक एक वर्ष बाद 23 मार्च 1989 को छप गया था। उस समय यही पाश की कविताओं का प्रतिनिधि चयन था। पाश की कविता का दूसरा संग्रह ‘समय ओ भाई समय’ 1995 में ही छपकर आया। इन दोनों संकलनों में पाश की पूरी कविता शामिल है। अतः इन दोनों संकलनों में से चुनकर पाश का एक नया प्रतिनिधि संकलन आना ज़रूरी था इसीलिए पाश की कविताओं का प्रस्तुत संकलन तैयार किया गया है।
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