लाख टके के बोल’ वरिष्ठ कवि एवं पत्रकार हेमन्त ‘स्नेही’ के कुछ चुने हुए गीत गीतिकाओं (ग़ज़लों) और दोहों का संग्रह है। अनेक रचनाएँ जहाँ एक ओर मानवमन की विभिन्न स्थितियों को प्रतिबिम्बित करती हैं वहीं दूसरी ओर कुछ नैतिक मूल्यों से भी सामीप्य स्थापित करती दिखाई देती हैं। चूँकि कवि का अधिकांश जीवन पत्रकारिता में व्यतीत हुआ है इसलिए अनेक कविताएँ भारतीय राजनीति के विभिन्न अध्यायों पर सटीक एवं चुटीली टिप्पणियाँ कर पाठक के मन को गुदगुदाने या उद्वेलित करने में सक्षम हैं। जिन कालखण्डों के शब्दचित्र आपको कुछ पृष्ठों पर दिखाई देंगे उनमें प्रमुख हैं देश पर लादी गयी इमरजेंसी फिर उस काले अध्याय पर लोकतंत्र की विजय और फिर श्रीमती इन्दिरा गाँधी की हत्या एवं सिखजनसंहार।कोविड महामारी के अत्यधिक दुःखद काल की स्मृति के बीच कवि ने आशा और विश्वास की दीपशिखाएँ प्रज्ज्वलित रखने का प्रयास किया है। देश के परमाणु शक्तिसम्पन्न होने का उल्लास भी पुस्तक में समाहित है। आश्चर्य नहीं यदि पाठकों को कुछ पृष्ठों पर अपने ही मनोभावों के कुछ बिम्ब दिखाई दें ।
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