इस उपन्यास में रानी लखिमा और विद्यापति की प्रेम कथा है। राजा शिवप्रसाद सिंह विद्यापति के आयदाता होने के साथ-साथ उनके मित्र भी थे। रांगेय राघव ने विद्यापति के दोनों भक्त व श्रृंगारी कवि रूपों का संघर्ष किया है। विद्यापति के जीवन गाथा के साथ ही तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियों का वर्णन भी उपन्यास में सशक्त ढंग से आया है। 'लखिमा की आंखें' में रांगेय राघव ने राजा शिवसिंह और विद्यापति की मित्रता के साथ रानी लखिमा और विद्यापति के प्रति आकर्षण भी वर्णित किया है। इसी उपन्यास में विद्यापति के संघर्षमय जीवन का भी वर्णन किया गया है।
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