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About The Book
Description
Author
About the Book: ये किताब सभी माता पिता के लिए है जो की निस्वार्थ भाव से बच्चो के लिए अपनी हर खुशी कुर्बान कर देते है और अंत में दूसरों के आस में जिंदगी से उदासीन होकर चले जाते है । उन्हे खुद के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ का ख्याल रखना चाहीए । अपने भावनात्मक विचारों पर भी नियंत्रण होना चाहीए । आखिर हम वृद्धावस्था को सन्यासी के जीवन से तुलना क्यों करते है इसलिए की वो सारी सांसारिक विचारों से खुद को मुक्त करके अपने अंतरात्मा पर चिंतन करे क्योंकि दूसरों के लिए हम खुद की जिन्दगी का हर अहम पल गवां देते है । बच्चों को भी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटना चाहीए क्योंकि जगत में सब कुछ मिलेगा दुबारा ना मिलेंगे तो माता पिता वो ममता ना झलकेगी कही और सदा तीर्थ धाम के चक्कर क्यों काटे जब स्वयं प्रभु के रूप है घर में । आखिर चंद क्षण तो होते है उनके कौन जाने कब किसका बुलावा आ जाए । उनकी छोटी छोटी मुस्कुराहट के लिए कभी तो प्रयास करो ।माता पिता की छोटी छोटी बातें दिल से ना लगाया करो । हमेशा तुम्हारे दुआ के लिए ही प्रार्थना करते है । मैं अपनी इस किताब के जरिए अपने आस पास के नजारा को एकत्रित किया है । अपनी समझ के हिसाब से अपनी बातें यहां रखा है । वो खुद को बच्चों के खुशीयों के लिए समर्पित कर देते है बल्कि उनको खुद के लिए भी खुशियां और समृद्धि भरा जिन्दगी का चुनाव करना होगा । वरना हर इंसान इस भंवर में फसा रह जाएगा ।