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About The Book
Description
Author
शैतान सिंह को नींद नहीं आती। हल्के-हल्के ब्लैक आउट्स हैं जिनके सहारे उसकी ज़िंदगी चल रही है। दवा एक्सरसाइज़ मेडिटेशन कुछ काम नहीं करता। आँखें सुर्ख़ लाल रहती हैं। वह एक सिक्योरिटी गार्ड है और नींद आने की वजह से उसके पास वक़्त भी अधिक है। वक़्त बिताने के लिए वह डबल ड्यूटी करने लगता है। रात की ड्यूटी एक सुनसान बंगलो पर है और दिन की ड्यूटी एक हॉस्पिटल में। एक दिन वो हॉस्पिटल में नोटिस करता है कि वहाँ एक ही गाँव से ढेर सारे कोमा के पेशेंट आए हुए हैं और आते ही जा रहे हैं। वो सारे कोमा के पेशेंट एक दिन एक साथ अपने बिस्तर पर बैठ जाते हैं और देर तक कुछ बड़बड़ाते हैं और फिर कोमा में चले जाते हैं। वहाँ के डॉक्टरों से शैतान सिंह को पता चलता है कि वो सब लोग कोमा में नहीं नींद में हैं। शैतान सिंह को भी नींद चाहिए। वो नींद की खोज में उन लोगों के गाँव चला जाता है जहाँ उन लोगों की नींद से पहले उसका सामना गाँव में मौजूद दूसरी रहस्यमयी चीज़ों से होता है।