<p>कई बार ज़िंदगी हमें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है</p><p>जहाँ हमारा यह सोचना और समझना भी कठिन हो जाता है</p><p>की अब हम क्या करें कैसे करें अपनी स्थिति को कैसे सम्भालें</p><p>बस ज़िंदगी के ऐसे ही एक मोड़ को “लौट आयीं बहारें में दर्शाया गया है।</p><p>लौट आई बहारें एक उपन्यास ही नहीं बल्कि एक भाव है जो कहीं ना कभी हर किसी के मन में होता है</p><p>सपने तो हर इंसान देखता है मगर अपने सपनों को एक रूप और एक आकार बेहद कम लोग ही दे पाते है</p><p><br/>यह उपन्यास उन तमाम लोगों के कठिन रास्तों को दर्शाता है</p><p>जो अपने जीवन में सब कुछ खो देने के बाद भी दुबारा उठकर </p><p>फिर खड़े होते है अपने सपनों को पूरा करने के लिए महनत करते है</p><p>और अपने जीवन की हर एक मुश्किल को पार करके आख़िर हीरा बनकर निखरते है और अपने आस पास के लोगों को भी अपनी चमक से कुछ ऐसा करने की प्रेरणा देते है जो उनके जीवन को सुधार सके।</p><p><br/>यह उपन्यास शिवांगी की कहानी है</p><p>उस शिवांगी की कहानी जो अपना सब कुछ खोकर भी हार नहीं मानती और उसके इस साहस के सफ़र में उसको साथ मिलता है ह्रिदेश का जो उसको वो प्यार और अपनापन देता है जो उसको कभी मिला ही नहीं ह्रिदेश का रोल शिवांगी के इस सफ़र का एक बेजोड़ हिस्सा है।</p><p>तो आप सभी आएँ और हिस्सा बने शिवांगी के शून्य से शिखर तक पहुँचने के उस सफ़र पर जिसमें मैं यह ज़रूर कहूँगा के आपको बहुत सारे भाव देखने को मिलेंगे एक तरफ़ प्यार का भाव तो दूसरी तरफ़ सच्ची दोस्तीकिसी की आँखों में सपने तो किसी दूसरे की आँखों में केवल और केवल नफ़रत।</p>
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