लहर सागर से ही उठती है और अंत में उसी में समा जाती है पर कुछ समय के लिए उसे लगता है कि वो सागर से अलग है और उसका अपना एक अलग अस्तित्व है। वह ये भूल जाती है कि वास्तव में वह सागर ही थी सागर ही है और सागर ही रहेगी। हम भी उसी लहर की तरह हैं जो खुद को उस अनंत और सर्वव्यापी ईश्वरीय चेतना से अलग समझते हैं और अपने आप को झूठी और सीमित पहचानों से बाँध् कर रखते हैं। यह किताब मात्रा एक उपन्यास नहीं है जिसमें किसी पात्रा के जीवन में होने वाली रोचक घटनाओं का वर्णन है बल्कि इस उपन्यास में तो इसके पात्रा के रूप में एक लहर की सागर बनने तक की यात्रा का एक जीवंत अनुभव है जो पाठकों के जीवन को और उनके जीवन को देखने के नजरिए को पूरी तरह बदल देगा।सुमीत इंगोलेइस उपन्यास के लेखक सुमीत इंगोले परम पूज्य गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी द्वारा स्थापित व 156 से भी अधिक देशों में कार्यरत गैर सरकारी संस्था ‘आर्ट आॅपफ लिविंग’ के प्रशिक्षक भी हैं। एक लेखक होने के साथ-साथ वे एक कवि गायक व संगीतकार भी हैं। उन्होने सिविल इंजीनियरिंग में अपनी पढ़ाई पूरी की है और इसके अलावा प्रकृति प्रेमी होने के कारण वे हमेशा पर्यावरण व वन्यजीव संरक्षण के लिए भी प्रयासरत रहते हैं। शहरों में विलुप्त हो रही गौरैया को बचाने हेतु भी वे कापफी सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं। श्री श्री रवि शंकर जी के उनके जीवन में आने के बाद उनके जीवन में एक अद्भुत परिवर्तन हुआ व जीवन में एक नयी यात्रा की शुरुवात हुई। उसी आध्यात्मिक यात्रा के अनुभवों की झलक उनकी साहित्यिक रचनाओं में भी देखने को मिलती है। गुरुदेव के हिंसा व तनाव मुक्त समाज के स्वप्न को पूरा करने के लिए काम करते रहना ही उनका एकमात्रा उद्देश्य है।
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