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About The Book
Description
Author
लेखनी परिवार की विशुद्ध ज्यामितीय शब्दों के काल्पनिक आरेख की ज्योत्सना में पूरा हमारा लेखनी परिवार नित्य प्रकाशमान हो उठता है तो आइए किंचित शब्दों के दैदिप्य की आभा आसा का शब्द सागर पिपासा की व्यंजना शाब्दिक प्रेम की पराकाष्ठा का प्रकाश जो कि परम् आदरणीय गुरुदेव आदरणीय संजीव सर जी और परम् आदरणीया प्रिय दीप्ति दीदी के आशीष से लक्षित आलोकित ज्योति किस प्रकार हमारे लेखनी परिवार में अनेक रंगों के मिश्रण इंद्रधनुषी सतरंगों से प्रकाशमान है उसकी प्रज्वलित लौ का क्षणिक प्रकाश देखते हैं।