उ.प्र.के ग्राम गंगवार (हसनपुर) निवासी ए.एम.यू.अलीगढ़ से लॉ ग्रेजुएट कुशल मंच संचालकनिस्वार्थ जन सेवक वर्षों से समाचार पत्रों पत्रिकाओं में नियमित रूप से लेख ग़ज़लें व कविताएं लिख रहे मुजाहिद हुसैन चौधरी का यह दूसरा काव्य संग्रह है। इससे पहले अहसासे मुजाहिद के नाम से उनका पहला काव्य संग्रह उर्दू में प्रकाशित हो चुका है। जो उर्दू अदब की दुनिया में काफी पसंद किया गया और सराहा गया। उन्होंने कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान सामाजिक परेशानियों घटनाओं संस्मरणों को अपने काव्य संग्रहलॉक्ड इन ज़िन्दगी- तड़पते अरमांमें सफलता पूर्वक अभिव्यक्त किया है। अपने माता-पिता को अपनागुरु और सर सैयद अहमद खां कोअपना आदर्श मानने वाले मुजाहिद चौधरी का मकसद शायरी के माध्यम से समाज को आईना और सही रास्ता दिखाना है। उनका कहना है कि वह तो अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज की पीड़ा संघर्ष वेदना और अहसास को अभिव्यक्त करते हैं। कजरिया फिल्म के किरदार सच का सामना सीजन-2 के सफल खिलाड़ी और अपनी रचनाओं से आम आदमी के दिलों तक पहुंचने में सफल मुजाहिद चौधरी को बार बार विभिन्न संस्थाओं/संगठनों द्वारा सम्मानित/पुरस्कृत किया जा रहा है।
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