आजकल काव्य-जगत में गज़ल का बोलबाला है। गज़ल कविता से टूट रहे लोगों को कविता से जोडऩे में सशक्त भूमिका निभा रही है। इसकी गागर में सागर भरने की खूबी के कारण गज़ल से मेरा खास लगाव रहा है। इसी लगाव की बदौलत यह संग्रह आपकी नज़र कर रहा हूं। यूं तो यह मेरा दूसरा गज़ल संग्रह है पर मुझे यह पहला संग्रह ही लग रहा है। इसका कारण यह है कि बह्र और छंद विधान की जो कमियां पहले संग्रह में रह गई थी इसमें नहीं मिलेंगी।
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