Lootniti Manthan Kari (लूटनीति मन्थन करी)

About The Book

काका हाथरसी जीवित किंवदंती थे। उनका व्यक्तित्व तथा उनकी सोच हास्यरस में पगी हुई थी। यह उनकी आसान शैली का ही कमाल था जिसने लाखों लोगों को उनका दीवाना बनाया। हिंदी के प्रसार में उनकी अदृश्य किंतु प्रबल भूमिका रही है जिसको उनके समकालीन कवि एवं साहित्यकारों ने भी स्वीकार किया है। इस पुस्तक में काकाजी ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार दोहों के रूप में व्यक्त किए हैं। ये दोहे अपने-आपमें किसी फ़लसफे से कम नहीं हैं और उनकी प्रगतिवादी सोच की झलक देते हैं। इनमें हास्य तो है ही साथ-साथ व्यंग्य का भी रोचक पुट है। इन दोहों के माध्यम से उन्होंने आज की राजनीति तथा सामान्य जीवन में व्याप्त आचरण की अशुद्धता पर जमकर चोट की है। ये दोहे काकाजी की सशक्त लेखनी और शैली की प्रभावात्मकता का पुष्ट प्रमाण हैं।<br>-डा. गिरिराजशरण अग्रवाल
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