इस सदी की शुरुआत में जिन कवियों ने अपने अलहदा कहन एवं मौलिक अभिव्यक्ति के जरिए अपनी मजबूत पहचान बनाई है उनमें विमलेश त्रिपाठी एक महत्त और जरूरी नाम हैं। 'लौटना है एकदिन' कवि के तीन कविता संग्रह ‘हम बचे रहेंगे’ ‘एक देश और मरे हुए लोग’ तथा ‘उजली मुस्कुराहटों के बीच’ की कविताओं से बना एक संचयन है। ये तीनों संग्रह अपनी अभिव्यक्ति की कलात्मकता और वैचारिक परिपक्वता के कारण बहुत चर्चित रहे हैं और इनने पाठकों के मन में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इन तीन संग्रहों की कविताओं से गुजरना कवि मानस के विकास के साक्षात्कार के साथ ही कविता के एक नवीन और अलग दुनिया में प्रवेश करने जैसा है जो अपनी सहजता और कवित्व की गरिमा के कारण उल्लेखनीय है। इन कविताओं का विस्तार गाँव शहर और राजनीति से लेकर मानव मन के कोमल तंतुओं तक है। इन कविताओं में एक ओर लोक संस्कृति की महक है तो दूसरी और संघर्ष की आग में तपते इस देश के करोड़ों लोग हैं। एक ओर 'भोपाल में बारिश' के बहाने प्रेम की सूक्ष्म अभिव्यक्ति है तो दूसरी ओर अपनी पहचान के लिए लड़ती 'स्त्रियाँ' हैं और हैं 'हॉस्टल की लड़कियाँ' भी। एक ओर मनुजता के लुप्त होने की कथा कहती 'पागल आदमी की चिट्ठी' है तो दूसरी ओर आत्महत्या करते किसानों की मर्मान्तक पीड़ा है। कुल मिलाकर यह संचयन कवि के रचनाकर्म का एक विशाल लोक तैयार करता है जिससे गुजरना एक पाठक को रोमांचित और उद्वेलित तो करेगा ही साथ ही एक अलग संसार को देखने की खिड़की भी खोलेगा।
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