Love Your Body And Soul

About The Book

कभी-कभी आपके सामने अनायास ही एक प्रश्न आ जाता है और जब तक आपको उसका सही जवाब (जिससे आप पूर्ण रूप से संतुष्ट हों) न मिल जाय वो प्रश्न आपके अन्तर्मन को कचोटता रहता है। एक बार मेरे एक मित्र ने मुझसे पूछा- चन्द्र प्रकाश जी आप अपनी जिन्दगी जी रहे हो या काट रहे हो? इससे पहले कि मैं कुछ जवाब सोचता मेरा सवाल था कि जिंदगी जीने में और काटने में क्या अंतर है? मित्र मण्डली में इस विषय पर काफी चर्चा हुई लेकिन कोई सार्थक जवाब नहीं मिला। एक SHORT TERM समाधान यह निकला कि तनावमुक्त जिंदगी को ही जीना कहते हैं तनावयुक्त जिंदगी तो जिंदगी काटना ही है। मैं कोई लेखक तो नहीं लेकिन इस प्रश्न ने मुझे प्रेरित किया कि इस प्रश्न का संतोषजनक हल निकाला जाय और तनावमुक्त जिंदगी जीने के लिए आवश्यक राह खोजी जाय। सही मायने में हमारी संगत ही हमारे विचार सोच और आचरण के लिए जिम्मेदार है। पानी की एक बूँद अगर गर्म तवे पर गिरे तो मिट जाएगी कमल के पत्ते पर गिरे तो मोती की तरह चमकने लगेगी और सीप में गिर जाय तो स्वयं मोती बन जाएगी। एक बार स्वामी विवेकानंद जी एक सत्र में युवाओं से चर्चा कर रहे थे। एक युवा ने पूछा कि सबसे अच्छी संगत कहाँ और कैसे मिलेगी? स्वामी का जवाब था- “किताबों से अच्छी कोई संगत नहीं”। इस पुस्तक में मैंने कुछ प्रेरणादायक (Motivational ) वाक्य विचार और शब्दों का चयन करके तनावमुक्त जिंदगी जीने के लिए आवश्यक कर्तव्य बोध को जाग्रत करने का और “Love your Body & Soul” के साथ जुड़ने का प्रयास किया है।
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