Lovleen

About The Book

सरल व सहज भाषा में लिखा गया उपन्यास ‘’लवलीन ‘’ पाठक को एक दूसरी ही दुनिया में ले जाता है एक ऐसी दुनिया जिसके बारे में एक आम आदमी सदैव से बहुत ही जिज्ञासु एवं आतुर रहा है। ये वो दुनिया है जिसे फिल्मीे जगत की दुनिया कहा जाता है जिसकी चमक दमक हमेशा ही लोगो के लिये एक जबर्दस्त आकर्षण का केन्द्र रही है जिसे अभिजात्य वर्ग का एक बेहद ही आजाद ख्यालों वाला संसार भी कहा जा सकता है। किन्तु जरूरत से ज्यादा आजादी जहां मयार्दा की सारी हदें पार कर दी जायें उसे आजादी नहीं बल्कि स्वछंदता कहा जाता है। अधिक स्व‍छंदता एवं मनमानीपूर्ण रवइयों का परिणाम हमेशा नुक्सानदायक ही होता है... घर टूटते हैं परिवार बिखर जाते हैं। इन्हीं टूटने बिखरने और बिखर कर पुन: नये रूप में सिमटने की दास्तां को बड़ी ही बेबाकी से सुनाता हुआ आगे बढ़ता जाता है ये उपन्यास ‘’लवनीन‘’ ‘लवनीन’ इस उपन्यास की नायिका है एवं कहानी प्रारम्भम से अन्त तक उसके इर्द-गिर्द ही घूमती रहती है। कहानी बड़ी ही सुगमता से अपनी बातों को चित्रित सी करती हुई आगे बढ़ती जाती है एवं कहानी के कथानन के धागे बहुत चतुराई के साथ एक दूसरे में पिरोये गये हैं कहीं-कहीं अश्लीलता की अधिकता पाठक को असहजता का अनुभव कराती हुई उसे थोड़ा विचलित भी करती है लेकिन जहां चरित्र के पतन के घोर अंधियारों में गुमराह होते हुये लोग हैं तो वहीं अपने आत्म-सम्मान की रक्षा करते हुये सि़द्धान्तों के पथ पर चलने वाले मनुष्य भी हैं। कुल मिलाकर लेखक विवेक जी द्वारा रचा गया उपन्यास ‘’लवलीन’’ एक अच्छा एवं पठनीय उपन्यास है। - समीक्षाकार : भावना सिंह
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE