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About The Book
Description
Author
शिक्षा विभाग के शासकीय विद्यालय क्र.1 देपालपुर के तर्जतर्रार शिक्षको में से एक डॉ. विनोद वर्मा ने कृषि विभाग और सहायक पशु चिकित्सक की दो नौकरियों को इस सोच के साथ नही करने की घोषणा कर दी कि उन्होंने अपने जीवन काल के 20 वर्षों तक जो सीखा है वह केवल विद्याथियों को ही दे पाएंगे !पशुओं या खेतों को क्या देंगे? 1 जून 1967 को जन्मे डॉ. विनोद वर्मा ने बचपन मे निर्धारित लक्ष्य अनुसार हिंदी साहित्य में पी.एचडी.एम.फिल.एम.ए.के साथ एल.एल.बी.बी. टी.और वेद विशारद की पढ़ाई पूर्ण की। लेखनविद्यालय कायाकल्प के साथसाहित्यिकसांस्कृतिक क्रीड़ाधार्मिकसामाजिक गति विधियों के कारण- उन्हें दिल्ली मथुराधनौराशुक्रतालभोपाल इंदौर से लगभग 31 सम्मान (अवार्ड) अब तक प्राप्त हुए है। शिक्षक परिवार और मालव लोकसाहित्य सांस्कृतिक मंच म.प्र. के य होकर उन्होंने आकाशवाणी पर नाटक खेलकर काव्यगोष्ठी का संचालन कर चुके है। वो एक अच्छे एंकर होकर आंखों देखा हॉल सुनाने में सिद्ध हस्त है। वीडियोग्राफी और फोटो ग्राफी में भी उनके हाथ कमाल कर चुके है। उनका 40 सदस्यों वाला भरापूरा परिवार है। सब भाइयों में बड़े होकर अपना मार्गदर्शन व सहयोग देकर उन्हें विशिष्ट स्थान पर काबिज करा चुके है। इस काव्य संकलन के पश्चात उनका एक कहानी संग्रह भी शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रहा है।.