Maanas-1 :(Manav Man : Prakriti Aur Prakriya)

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मानस-1 मानव मन : प्रकृति और प्रक्रिया मानव मन-प्रकृति और प्रक्रिया में डॉ. गुलाब कोठारी कहते हैं कि हम जिस मन को देखते हैं वह हमारे शुद्ध मन का आभास मात्र है। शुद्ध मन तो हमारी प्रकृति और कर्मों से ढका हुआ है अतः जो हम समझते हैं वह भी शुद्ध मन से भिन्न होता है। अकेले इस अंतर के कारण ही हम जीवन की उलझनों से मुक्त नहीं हो पाते तथा सुख और आनंद से वंचित रहते हैं। मानव मन चंचल और अस्थिर होता है क्योंकि हमारी इन्द्रियां हर क्षण अपने अनुकूल विषयों में लिप्त रहती हैं। इसीलिए इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करना पराक्रम और वीरता कहलाती है।
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