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About The Book
Description
Author
इस उपन्यास में डॉ. सत्येन्द्र सुमन ने सचमुच मिट्टी के नीचे दबे गाँव के लुप्तप्राय होते जा रहे शब्दों को अपने नाखूनों से मिट्टी को खोद-खोद कर बाहर निकाला है। अगर इन शब्दों का ऐसे दुर्लभ प्रयोग नहीं होते तो शायद ये मर गये होते। फिर कैसे किन शब्दों से मेरी दादी और माँ हमें “युग युग जिय का आशीर्वाद देती। महाकवि कालिदास ने लिखा कि गाँव के खेत की मेड़ पर बैठकर अभी-अभी हल की नोक से जोती हुई जमीन से निकली सोंधी सुगन्ध की महक सचमुच मन को मादक बना देती है। यह जो सौन्दर्यबोध है यह जो भाव-विह्वलता है यह जो आनन्द है उस आनन्द का बोध इस उपन्यास के लेखक ने बड़ी आसानी से करा दिया है।