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About The Book
Description
Author
अग्रणी कवि बच्चन की कविता का आरंभ तीसरे दशक के मध्य मधु अथवा मदिरा के इर्द-गिर्द हुआ और मधुशाला एक-एक वर्ष के अंतर से प्रकाशित हुए। ये बहुत लोकप्रिय हुए और प्रथम मधुशाला ने तो धूम ही मचा दी। यह दरअसल हिन्दी साहित्य की आत्मा का ही अंग बन गई और कालजयी रचनाओं कर श्रेणी में आ खड़ी हुई है। इन कविताओं की रचना के समय कवि की आयु 27-28 वर्ष की थी अतः स्वाभाविक है कि ये संग्रह यौवन के रस और ज्वार से भरपूर हैं। स्वयं बच्चन ने इन सबको एक साथ पढ़ने का आग्रह किया है। कवि ने कहा है: आज मदिरा लाया हूं-जिसे पीकर भविष्यत् के भय भाग जाते हैं और भूतकाल के दुख दूर हो जाते हैं... आज जीवन की मदिरा जो हमें विवश होकर पीनी पड़ी है कितनी कड़वी है। ले पान कर और इस मद के उन्माद में अपने को अपने दुख को भूल जा।