Madhumeh Karan Aur Ilaz Hindi(PB)
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मध�मेह को कोई-कोई असाध��य या यों कहिये कि ला-लाइज रोग मानते हैं। किंत� क��या यह अंतिम कथन है? इस पर आज गंभीरता से विचार हो रहा है हमारे देश में और विदेश में भी। आय�र�वेदिक यूनानी �लोपैथिक तथा होम��योपैथी सभी इसके निराकरण के लि� कटिबद�ध प�रतीत होते हैं अत हम विश��वास कर सकते हैं कि चिकित��सा-विज�ञान अपनी तकनीक की प�रगति से तथा चिकित��सों के अथक परिश�रम से इस रोग की असाध��यता को साध��यता में परिणत करेंगे। प�रस��त�त प�स��तक में लेखक ने सभी चिकित��सा पद�धतियों के आधार पर इसके कारण लक�षण उपद�रव और निदान तथा उपचार पर सम��यक� प�रकाश डालने का यत��न किया है। आशा है पाठक इससे लाभान�वित होंगे।
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