Mahabhoj Natak

About The Book

मन्नू भंडारी को इसका श्रेय जाना चाहिए कि उन्होंने अतिपरिचित परिस्थितियों के इतने व्यापक फलक को बिना किसी प्रचलित मुहावरे का शिकार हुए समेट लिया है | इसी नाम से उनके चर्चित उपन्यास का यह नौ-दृश्यीय नट्यान्तरण अत्यंत यथार्थपरक और तर्कसंगत है | इस नाटक में हम समाज में सक्रिय अनेक ताकतों और गरीबों के जीवन पर उनके प्रभाव की परिणतियों को दृश्य-दर-दृश्य खुलते देखते हैं (मोहन) राकेश के बाद पहली बार हम इस नाटक में सुगठित संवादों का श्रवण-सुख भी पाते हैं | - राजेंद्र पॉल 'महाभोज' सामाजिक यथार्थ का रूखा अंकन मात्र नहीं है यह बहुत सोचे-समझे रचनात्मक डिज़ाइन की उत्पत्ति है साथ ही बहुत सघन भी | इस नाटक को उन राजनितिक नाट्य-रचनाओं में गिना जाएगा जो सिर्फ दर्शकों की भावनाओं और आक्रोश का दोहन मात्र नहीं करतीं बल्कि यथार्थ की क्रूर और विचलित करने वाली छवि के शक्तिशाली प्रक्षेपण के द्वारा दर्शक की नैतिक संवेदना को चुनौती देती हैं और उन्हें अपने विवेक की खोज में प्रवृत्त करती हैं | - अग्नेश्का सोनी और सबसे ज्यादा यह उपन्यास/नाटक मन्नू भंडारी की संवेदनशील जागरूकता की एक दें है और नाटककारों की श्रेणी में उनके चिर-अभिपिसत आगमन का प्रमाण भी | - कविता नागपाल|
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