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About The Book
Description
Author
मानव जीवन का असली लक्ष्य है “अपना सत्य” ढूँढ़ना जो शरीर मन बुद्धि के परे है। …जो अपना होना चेतना (Consciousness) की पहचान है जो असली “मैं’ है…जो असीम है जो व्यक्तिगत अहंकार से परे है। वह ब्रह्माण्डीय यानी अव्यक्तिगत मैं’ (Universal ”I”) है जहॉं सभी के “एक’ होने (एकात्मता और समग्रता ) का अनुभव है। असली अनुभव जो शरीर और मन के परे का अनुभव है उसका सिर्फ संकेत किया जा सकता है उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। कहानियॉं केवल संकेत देती हैं।वैसे तो हर महापुरुष का पूर्ण जीवन जानने और मनन करने योग्य है परंतु इस पुस्तक में कुछ महापुरुषों के जीवन से जुड़ी एक-एक घटना का समावेश किया गया है। ये घटनाएँ हमें कुछ न कुछ ऐसा सीखाकर जाएँगी जिसकी जरूरत हमें आज है अभी है और आपके हाथ में है।