Maharana Pratap ki Atmakatha (महाराणा प्रताप की महागाथा)+Yug Purush : Samrat Vikramaditya (युग पुरुष : सम्राट विक्रमादित्य)


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This combo product is bundled in India but the publishing origin of this title may vary.Publication date of this bundle is the creation date of this bundle; the actual publication date of child items may vary.यत्कृतम् यन्न केनापि यद्दतं यन्न केनचित्। यत्साधितमसाध्यं च विक्रमार्केण भूभुजा॥<br>(विक्रमादित्य ने वह किया जो आज तक किसी ने नहीं किया वह दान दिया जो आज तक किसी ने नहीं दिया वह असाध्य साधना की जो आज तक किसी ने नहीं की; अतएव उनका नाम सदैव अमर रहेगा।)<br>विक्रमादित्य का प्रारम्भिक उल्लेख स्कंद पुराण और भविष्य पुराण सहित कुछ अन्य पुराणों में भी मिलता है। उसके अतिरिक्त विक्रम चरित्र कालक-कथा बृहत्कथा गाथा-सप्तशती कथासरित्सागर बेताल-पचीसी सिंहासन बत्तीसी प्रबंध चिंतामणि इत्यादि संस्कृत ग्रंथों में उनके यश का वर्णन विस्तार से किया गया है। साथ ही जैन साहित्य के पचपन ग्रंथों में विक्रमादित्य का उल्लेख मिलता है। संस्कृत और जैन साहित्य के अतिरिक्त चीनी और अरबी-फारसी साहित्य में भी विक्रमादित्य की कथा उपलब्ध है जो कि उनकी ऐतिहासिकता को प्रमाणित करती है।<br>इस उपन्यास में मैंने जनमानस में व्याप्त उन विक्रमादित्य की कथा को लिखने का प्रयत्न किया है जिनका वर्णन एक अलौकिक व्यक्ति की भाँति अनेक ग्रंथों और लोककथाओं में मिलता है और जो पिछली दो शताब्दियों से जनसामान्य के हृदयों के नायक रहे हैं। जिन्होंने विदेशी आक्रांता शकों का सम्पूर्ण उन्मूलन करके भारत भूमि पर धर्म और न्याय की पुनर्स्थापना की तथा इतने लोकप्रिय सम्राट हुए कि अपने जीवन । काल में ही किंवदंती बन गए थे।यह उपन्यास महाराणा प्रताप के जीवन पर आधारित है। उनके साहस धैर्य वीरता और स्वातंत्र्य-प्रेम की स्तुति भारतीय जन-मानस पिछले साढ़े चार सौ वर्षों से करता आया है। किंतु सत्तावन वर्ष के जीवन-काल वाले राणा प्रताप से आम जनमानस का परिचय कुछ गिनी-चुनी घटनाओं जैसे हल्दीघाटी का युद्ध और अरावली की कुछ जन-श्रुतियों तक ही सीमित है। लोगों को यह तक ज्ञात नहीं है कि उनका जन्म कहाँ हुआ था कहाँ लालन-पालन हुआ कहाँ राजतिलक हुआ कहाँ उनकी राजधानी रही और कहाँ उनका देहावसान हुआ। इस उपन्यास में राणा प्रताप के सम्पूर्ण जीवन और व्यक्तित्व को दर्शाया गया है। उनके जीवन के अनेक नए रोचक तथ्य अवश्य ही चमत्कृत और रोमांचित करने वाले हैं। About the Author प्रताप नारायण सिंह जन्म: 20 जुलाई 1971 उत्तर प्रदेश (भारत)। प्रकाशित कृतियाँ: सीताः एक नारी (खंडकाव्य) बस इतना ही करना (काव्य-संग्रह) राम रचि राखा (कहानी-संग्रह)। पुरस्कार: सीता: एक नारी के लिये हिंदी संस्थान उत्तर प्रदेश द्वारा “जयशंकर प्रसाद पुरस्कार। संपर्क: 1406-A गौर वैलेरिओ अहिंसा खंड-2 इंदिरापुरम गाजियाबाद उत्तर प्रदेश पिनकोड-201014 फोन- 9810370718 7355786081.
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