यह सच्ची कहानियों का एक ख़ज़ाना है। इसमें भारत और यूरोप की भारतीय महारानियों की शान-शौकत चाहतों और लगावों की गहरी बानगियाँ हैं। महारानी एक बारगी ही ऐतिहासिक रोमांस भी है और समाजशास्त्र का दस्तावेज़ भी। साज़िशें ही जिनके लिए उपयोगी बन गई थीं। जैसे ये विस्तार से कही गई जीवंत कथाएं बीते हुए समय का हाल हों उस समय का जो कभी वापिस लौटकर नहीं आता। लेखक ने भारतीय महाराजाओं के यहाँ 50 से ज़्यादा सालों तक अपनी सेवाएं दीं। जब-जब भी वे अपने प्रेम और रोमांस के निजी दौरों पर देश में या बाहर कहीं गए तो लेखक ने उन्हें पूरी कम्पनी दी। इसमें अपार धन-दौलत के मालिकों की उन महारानियों की शानदार ज़िंदगियाँ हैं जो इसी दुनिया में हमेशा देखी गईं| About the Author दीवान जरमनी दास 1895 में पंजाब में पैदा हुए। वह कपूरथला और पटियाला में मिनिस्टर रहे। वह फ़र्राटेदार पंजाबी उर्दू अंग्रेज़ी और फ्रेंच बोलते थे तथा उन्हें वेटिकन और फ़्रांस स्पेन मोरक्को मिस्र और कई दूसरे देशों की सरकारों ने उच्च सम्मानों से नवाज़ा। कपूरथला पटियाला और भावलपुर रियासतों के शासकों ने भी उन्हें अंलकृत किया|
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