आधुनिक भारत के क्रान्तिकारी मध्यमानव थे महर्षि दयानन्द जिन्होंने इस देश के नवनिर्माण का सपना देखा और उसे साकार करने में अपना सारा जीवन होम दिया। वह आर्य समाज के संस्थापक थे और दासता की बेड़ियों में जकडे भारत देश को मुक्त कराना चाहते थे। स्वराज्य दलितोद्वार राष्ट्रीय एकता देशभक्ति स्वदेशी एक भाषा तथा पंचायत राज के वे सर्वप्रथम उदृघोषक थे। उस काल में समूचे देश में नयी क्रान्ति के बीज बीए जिसकी फसल काटी बाद की पीढ़ियों ने। उन्हीं के प्रेरक व संघर्षपूर्ण जीवन तथा विचारों को प्रस्तुत किया है विद्वान आचार्य भगवान देव ने।
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