हर प्रेम पाल सिंह का जन्म 17 अप्रैल 1946 को लाहौर में हुआ। गुरदासपुर में बी.एससी. तक पढ़ाई की। एम.एससी. कुरुक्षेत्र से तथा एम.लिब.एस.सी. पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से की। सब तरह के धर्मों और सम्प्रदायों की पुस्तक पढ़ने का शौक रहा। मन्दिर गुरुद्वारा चर्च मस्जिद भी चले जाते थे। पंजाब में 20 वर्ष और रांची में 25 वर्ष के करीब रहे। 1975-79 तक क्रिश्चियन कॉलेज तथा हॉस्पिटल में बतौर पुस्तकालय अध्यक्ष कार्य और रांची वेटेनरी कॉलेज में 25 वर्ष पुस्तकालय अध्यक्ष रहे। सब मुख्य धर्मों के पठन-पाठन की इच्छा पूरी की। उसी साहित्य के बल पर कुछ पुस्तकें लिखी। ज्यादा फोकस नाम सिमरण ध्यान सबद श्रवण पर रहा। अपनी सृष्टि में सूर्य को मुख्य देव पायाजिस पर सब वनस्पतियाँ जीव-जन्तु देव-दनुज मानव आश्रित हैं।प्राइमरी कक्षा से बी.एससी. तक पढ़ाया और पुस्तकालय अध्यक्ष के पद पर चिकित्सकों को पढ़ाई और अनुसंधान में सहायता की। जीवन सादा और खेदहीन बीता है। जो चाहा वह पाया। दो मित्र विशेष रहे। श्री पंकज वत्सल सम्पादक और श्री अवधबिहारी लाल लेखाकार कृषि विश्वविद्यालय रांची। हर व्यक्ति हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई के वचनों को ध्यानपूर्वक सुनते थे और उनमें से मोतियों को पुस्तकों के लिए लिख लेते थे। सब अति प्रिय थे। सब प्रभु की महिमा थी।
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