इन प्रवचनों में महावीर वाणी की व्याख्या करते हुए ओशो ने साधना जगत से जुड़े गूढ़ सूत्रों को समसामयिक ढंग से प्रस्तुत किया है। इन सूत्रों में सम्मिलित हैं--समय और मृत्यु का अंतरबोध, अलिप्तता और अनासक्ति का भावबोध, मुमुक्षा के चार बीज, छह लेश्याएं: चेतना में उठी लहरें इत्यादि। महावीर के ये साधना-सूत्र हमारी अंतर्यात्रा को सुगम बनाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
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