Mahavir Ya Mahavinash
Hindi


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About The Book

महावीर की क्रांति इसी बात में है कि वे कहते हैं कोई हाथ ऐसा नहीं है जो तुम्हें आगे बढ़ाए। और किसी काल्पनिक हाथ की प्रतीक्षा में जीवन को व्यय मत कर देना। कोई सहारा नहीं है सिवाय उसके जो तुम्हारे भीतर है और तुम हो। कोई और सुरक्षा नहीं है कोई और हाथ नहीं है जो तुम्हें उठा लेगा सिवाय उस शक्ति के जो तुम्हारे भीतर है अगर तुम उसे उठा लो। महावीर ने समस्त सहारे तोड़ दिए। महावीर ने समस्त सहारों की धारणा तोड़ दी। और व्यक्ति को पहली दफा उसकी परम गरिमा में और महिमा में स्थापित किया है। और यह मान लिया है कि व्यक्ति अपने ही भीतर इतना समर्थ है इतना शक्तिवान है कि यदि अपनी समस्त बिखरी हुई शक्तियों को इकट्ठा करे और अपने समस्त सोए हुए चैतन्य को जगाए तो अपनी परिपूर्ण चेतन और जागरण की अवस्था में वह स्वयं परमात्मा हो जाता है। ओशो
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