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About The Book
Description
Author
‘महज ये वायरस नहीं’ जो कृति की शीर्षक कविता है के माध्यम से कवि हमारे समूचे परिदृश्य की गंभीर पड़ताल करते हैं हमारे बढ़ते लोभ लालच भौतिकवादी दृष्टि बेतरतीब विकास के नाम पर विनाश की समुचि मानवता पर मंडराती काल की छाया को वर्तमान कोरोना की वैश्विक त्रासदी के साथ बड़े प्रभावी ढंग से पाठकों के सम्मुख रखा है।