Mahila Shashaktikaran

About The Book

भले ही हम कंप्यूटर युग में पहुंच गए हों और विकास के नये कीर्तिमान स्थापित कर रहे हों पर जहां तक एक स्वस्थ समाज की बात आती है तो स्त्रियों के खिलाफ लगातार हो रहे अत्याचार और अपराध हमें आदिम युग की याद दिलाते हैं। समाज में स्त्रियों को उपभोक्ता की वस्तु समझा जाता है। उसका उपभोग करने की प्रवृत्ति हर जगह देखने को मिलती है। महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध का मुख्य कारण कन्या भ्रूण हत्या की घटनाओं में होने वाली बढ़ोत्तरी है।लेखक ने स्त्रियों के खिलाफ होने वाले अत्याचार और अपराध की सच्ची घटनाओं को आधार बनाकर अध्ययन किया है। समाज में स्त्री और पुरुषों के रहन-सहन उनकी शिक्षा अभिभावकों का व्यवहार स्त्रियों के साथ होने वाले अत्याचार के समय लोगों की प्रतिक्रिया के बारे में इस पुस्तक में सजीव चित्रण है। लेखक स्त्रियों को बेहतर और सफल जीवन के लिए उपयुक्त सुझाव भी देता है। उसका उद्देश्य स्पष्ट है कि हमारे समाज में स्त्रियां निर्भय होकर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सके। अपना मनोबल ऊंचा उठाते हुए अपने खिलाफ होने वाले अत्याचार और अपराधों का बखूबी सामना कर सके। साथ ही इस समाज में निडर होकर सम्मान के साथ जी सकें।
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