आंध्रप्रदेश राज्य के महान कवयित्री श्रीमती कोंकेपूड़ी अनुराधा जी तेलुगु भाषा में अब तक कई कविताएंगानेकहानियां लिखकर पुस्तकें भी प्रकाशित किए हैं।उनमें से नित्य मल्ले कहानियां हिंदी में अनुवाद किए गए हैं।श्री पोरंकी नागराजु जी उनकी महती नामक तेलुगु कविताओं का पुस्तक हिंदी में अनुवाद किए हैं।इस पुस्तक को मुद्रित करना बहुत हर्षदायक है। अनुराधा और नागराजु दोनों मेरे द्वारा सृजित पंचपदि प्रक्रिया में साहित्य सृजन कर रहे हैं।अनुराधा जी मा ऊरी तांगेडु पूलु नामक पंचपदि पुस्तक मुद्रित किए हैं। नागराजु जी आंध्रप्रदेश सरकारी हिंदी पाठ्य पुस्तक की तैयारी में भागीदार हैं और राजू की पहेलियां हिंदी पुस्तक के मुद्रापक हैं जो वरर्ल्ड रिकार्ड पुस्तक में नामांकन किया गया है तथा राज्य सरकार द्वारा पुरस्कार मिला हैसाथ ही केंद्र सरकार के द्वारा प्रशंसा भी मिली है। महती में ७७ कविताएं हैं।इनमें सामाजिक समस्याएंकरोना समय के विषयमनुष्यों के स्वभाववैश्विक अंशवृद्धों की बुरी दशापर्वों के बारेमेंदेश की स्थिति और बालकों तथा बचपा के साथ नई पीढ़ीनव युवकों के बारे में कविताएं लिखी हैं।इन सभी कविताएं अनुराधा जी मातृ भाषा तेलुगु में भावात्मकसंदेशात्मक ढंग से जितना सुंदर आविष्कृत किए हैंउतना ही सुंदर रूप में नागराजु जी हिंदी में अनुवाद किए हैं। सारी कविताएं पढ़ने पर लगभग पचास साल की सामाजिक दृष्टिकोण का झलक देख सकते हैं।यह पुस्तक अहिंदी प्रांत मेंहिंदी भाषा में मुद्रण करनाअनुराधा जी को साहित्य के प्रति कितना प्रेम है पता चलता है।यह कवयित्री अनुराधा जी को और अनुवादक नागराजु जी को मेरे ओर से हार्दिक शुभकामनाएं दे रहा हूं।अपनी राज्य भाषा तेलुगु के प्रति प्रीती और राष्ट्र भाषा हिंदी के प्रति प्रेम का उदाहरण है।भविष्य में अनुराधा जी के पुस्तकें भी अन्य भाषाओं में अनुवाद करने का प्रयत्न करें। अनुराधा जी अपना गांव कामवरपु कोटा का इतिहास को पंचपदि प्रक्रिया मेंतेलुगु में लिखे हैं।वे चाहे तो मैं उस पुस्तक को हिंदी में अनुवाद करूंगा।
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