1977 में MBBS करने के बाद 1979 में नागपुर जिले के कामठी शहर में अपना व्यवसाय क्लीनिक के रूप में शुरू किया। हालांकि मुझे उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रवेश मिल चुका था किन्तु परिस्थिति की मजबूरी के चलते मैं उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाया इसलिए मैंने एक पुराने कच्चे मकान में अपना वैद्यकीय व्यवसाय ईश्वर का नाम लेकर प्रारंभ कर दिया। पत्नी शिक्षिका थी उसका मुझे आर्थिक एवं मानसिक आधार मिला इसके अलावा माता-पिता से दूर रहकर मामा-मामी के पास रहकर जो संस्कार मुझे मिले शायद उसके प्रभाव से पहले दिन से मेरे क्लीनिक में मरीज बढ़ते गये। महज छह महीनों में मेरी गिनती शहर के अग्रणी पांच चिकित्सकों में होने लगी। फिर मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
कामठी शहर शायरों और कवियों का शहर कहलाता है। मैं शहर के कई जाने-माने शायर एवं कवियों के सम्पर्क में आया। कक्षा आठवीं से मुझे कविता एवं अभिनय करने का शौक था। मैंने शायरी कामठी में सीखी। मैंने जितनी भी रचनाएं की हैं सारी अपनी व्यस्तता में की हैं। कभी- कभी दो मरीजों के बीच में जो वक्त मिलता था मैं टुकड़ों-टुकड़ों में अपनी कविता और ग़ज़लें लिखा करता था और भूल जाया करता था। अपनी रचनाओं को मैंने संकलित करके नहीं रखा था। ये तो लॉकडाउन के खाली दिन थे जब मैंने अपनी रचनाएं संकलित की। तकरीबन 150 से 200 रचनाएं मैं संकलित कर पाया और इतनी रचनाओं को देखकर मैं खुद ही अचंभित रह गया।
मैंने उन्हें संकलित कर पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने का संकल्प किया। रातों को जाग-जाग कर मोबाइल पर ही टाइप किया। दूसरे Lockdown में सितंबर 2021 में ‘बहता आसमान’ नामक किताब छपी। उसके पहले अगस्त में मेरी Bypass surgery हो गयी।
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