मैला आँचल बिहार के एक छोटे से गाँव के लोगों के दुःख-दर्द की मार्मिक कहानी है। आँसुओं से भीगी धरती पर सपनों के लहलहाते फूल और पौधे इसकी कथावस्तु हैं। प्रतिष्ठित उपन्यासकार फणीश्वर नाथ 'रेणु' का यह सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है, जो न सिर्फ सामाजिक समस्याओं का बारीकी से चित्रण करता है, बल्कि समाज के कुकृत्यों को भी सामने लाता है।
मैला आँचल का नायक एक ऐसा युवा है जो डॉक्टर बनने के बाद एक पिछड़े गाँव को अपनी कर्मभूमि बनाता है। इसी क्रम में वह ग्रामीण जीवन के पिछड़ेपन, दु:ख-दैन्य, अभाव, अज्ञान, अंधविश्वास के साथ तरह-तरह के सामाजिक शोषण की शिकार जनता की पीड़ा और संघर्ष से जुड़ता है।
इस उपन्यास के माध्यम से कथाशिल्पी फणीश्वर नाथ 'रेणु' ने उस वक्त के ग्रामीण भारत की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्थाओं का विस्तार से चित्रण किया। उन्होंने गरीबी, न्याय, स्वतंत्रता, जाति व्यवस्था और सामाजिक विभाजन के मुद्दे उठाए हैं।
इस युगांतरकारी कृति में आंचलिक भाषा और शैली का विलक्षण सामंजस्य है, जो सहज होने के साथ-साथ प्रभावी भी है। फणीश्वर नाथ 'रेणु' ने अपनी इस कृति में सामाजिक परिवर्तन की आवश्यकता को रेखांकित किया है, जो आज भी प्रासंगिक है।
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