जब हम किसी के जीवन को अपनी नज़रों से देखते हैं तो हमें उसका जीवन नियति पर आश्रित लगता है और हम उसका कमतर आंकलन करने लगते हैं। हमें लगता है कि शायद उस व्यक्ति के पास कोई विकल्प नहीं था परन्तु हर व्यक्ति के जीवन में विकल्प होते हैं और उन विकल्पों में से कौनसा विकल्प चुनना है उसका फैसला वह व्यक्ति खुद करता है। मेरी कहानी ''मैं मधु'' ९० के दशक की एक ऐसी महिला की कहानी है जिसने दो ज़िंदगियाँ बनाने के लिए संघर्ष विश्वास और प्रेम के रास्ते का चुनाव किया और उस रास्ते पर चल कर अपना कर्त्तव्य पूरा किया। इस कहानी के आरम्भ में मधु के मन के अंतर्द्वंद को प्रस्तुत किया गया है। कहानी उस वक़्त एक नया मोड़ लेती है जब मधु सतीश से शादी करने का फैसला लेती है और अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाने के लिए तत्परता से आगे कदम बढ़ाती है। मधु का जीवन प्यार और समर्पण की एक ऐसी मिसाल है जिसे शायद यह समाज प्रशंसनीय ना समझता हो परन्तु वह स्वयं में मानवता के लिए एक उदाहरण है। मुझे यकीन है कि यह कहानी आपके दिल में आम लोगों के लिए सम्मान को बढ़ाएगी और आपको एक नया दृष्टिकोण भी देगी।----सलोनी का जन्म 10 सितम्बर 1986 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ। उन्होंने अपने जीवन के प्रारंभिक साल अपने दादा-दादी के साथ मुज़फ्फरनगर में बिताये तत्पश्चात वह लखनऊ वापस आ गयीं और अपनी स्नातक तक की शिक्षा वहीं पूरी की। स्नातक के बाद उन्होंने पुणे से फाइनेंस में एम बी ए की डिग्री प्राप्त की और ९ साल कॉर्पोरेट जगत में काम किया। लेखन में रूचि होने के कारण उन्होंने इस क्षेत्र में आगे बढ़ने का फैसला लिया और प्रसिद्ध अखबारों व ''आल इंडिया रेडियो'' जैसे मंचों के लिए कई कहानियाँ नाटक लेख और कविताएं लिखीं। इतना ही नहीं हालही में उनके द्वारा लिखे गए उपन्यास ''मेदान्त'' को भी लोगों ने बहुत सराहया। उनकी कृतियाँ मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण और हृदय स्पर्शी होती हैं जिन्हें पढ़ना पाठक के लिए एक सुखद अनुभूति है।
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