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About The Book
Description
Author
सावित्रीबाई फुले महाराष्ट्र के महान समाज क्रांतिकारक महात्मा जोतीराव फुले इनकी पत्नी है. क्रांतिज्योती सावित्रीबाई ने अपना पूरा जीवन पति जोतीराव के साथ तथा उनके मृत्यू पश्चात सामाजीक क्रांति में समर्पित कर दिया था. सावित्रीबाई ने अपनी अठरा साल के उम्र से ही समाज के पिडित दिनदलीत स्त्री पुरुषों के लिए अनगणित कार्य किये. </br></br>
वर्तमान कोरोना के समान उन दिनों 1897 में जब पुणा में प्लेग का तांडव सुरु हुआ तो सावित्रीबाई अपनी जान की पर्वा न करते हुए प्लेगग्रस्त रोगियों की सेवा में जुट गयी. एक दिन उन्होने एक अस्पृश्य गायकवाड नामक गॅराह साल के प्लेग हुए बालक को कंधे पर डालकर तीन कि.मी. चलकर उसे अस्पताल पहुचा दिया. वो बालक तो बच गया मगर सावित्रीबाई खुद प्लेग की शिकार हुई और दुसरेही दिन चल बसी. </br></br>
सावित्रीबाई की आपबीती और झंझोर देणेवाली जीवन की सत्य कहानी आकाशवाणीद्वारा उनके मुख से ही प्रस्तुत करने का इस पुस्तक द्वारा प्रयास किया गया है.