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About The Book
Description
Author
‘मैं शब्द हूँ’ रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के अनुपम संवाद पर पूर्णतया केन्द्रित है। इसका प्रसारण 3 अक्टूबर 2014 से आंरभ हुआ जो आज भी जारी है। इसका कालजयी विश्लेषण हमारे दृष्टिकोण से कुछ और ही है। मुझे ‘मन की बात’ के माध्यम से ‘मैं शब्द हूँ’ में ऐसा क्या होता है जो श्रोताओं की अन्तर्दृष्टि में भविष्य को वर्तमान की तरह देखने की सामर्थ्यतता से भर देता है। वास्तव में ‘मैं शब्द हूँ’ एक आईना की तरह है जो हमारे अंदर के दैदीप्यमान को उजागर करता है। शब्द ही गीता कुरान बाइबिल व गुरुग्रंथ ही नहीं बल्कि शब्द अगणितीय हैं जो समय-समय पर हमारा अदम्य जिजीविषा का पथ प्रशस्त करते हैं। शब्दों ने ‘मन की बात’ को जीवंत बना दिया है क्योंकि शब्द ही दुनिया है दुनिया में शब्द हैं। जो भी व्यक्ति शब्दों की महिमा और गरिमा को समझ लेता है वो व्यक्ति जीवन रूपी पहेली को हल कर लेता है। अर्थात शब्द से ही इंसान की पहचान होती है और बौद्धिक संपदा स्रोत भी। शब्दों के जादू में अभिव्यक्ति लहजा चुनिंदा शब्दावली व्यवहार भाव की गहराई ही जन समुदायों को प्रभावित करता है यदि आप चाहें तो शब्दों से सृजनात्मक विकास कर सकते हैं और विनाश भी। वर्तमान के परिदृश्य में ‘मैं शब्द हूँ’ की प्रासंगिकता है।