ये कविताएं 2002 में लिखी गई थी लेकिन इनमें इतनी ताज़गी है कि ये आज भी जिंदा हैं और हमेशा रहेंगी। इमरोज ने इस पुस्तक के बारे में लिखा है कि 84 वर्षो से ख्यालों के दरिया में अपनी कश्ती में पलंग पर बैठी कविता लिखती कविता जीती वह जिंदगी के पांचों दरियाओं को पल-पल पार करती रही और फिर शेष जीवन वह अपने पलंग पर सांसों के पानियों में डोलती रही-सिर्फ डोलती रही। यह अमृता प्रीतम की अंतिम कविता की पुस्तक है।. About the Author अमृता प्रीतम पंजाबी के सबसे लोकप्रिय लेखकों में से एक थी। अमृता प्रीतम का जन्म 1919 में गुजरांवाला पंजाब (भारत) में हुआ। उनका बचपन लाहौर में बीता और शिक्षा भी वहीं हुई। किशोरावस्था से उन्होंने लिखना शुरू किया। उन्होंने सौ से अधिक कविताओं की किताब लिखी साथ ही फिक्शन बायोग्राफी आलेख और आत्मकथा लिखकर साहित्य में नया मुकाम हासिल किया।.