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About The Book
Description
Author
हमें ये कहानियाँ इसलिए भी अच्छी लगती हैं कि इनके वाक़ेआत में ज़्यादा उलझाव और अंदाज़े-बयान में ज़्यादा पेचीदगी नहीं है। ख़ैर और शर की तयशुदा अलामतें हैं जो अमूमन वाज़ेह तौर पर आपस में बरसरे-पैकार रहती हैं। इन कहानियों में ख़ैर ही को हत्तमी ग़लबा नसीब होता है और आख़िरी फ़तह सच ही की होती है। दुख और तकलीफ़ का दौरानिया अक्सर मुख़्तसर होता है। छोटी-छोटी ख़्वाहिशें पूरी हो जाने की मसर्रतें बड़ी-बड़ी होती हैं। हर मुसीबत में कोई न कोई सहारा देने वाला मिल जाता है और आख़िरकार इत्मिनान की व राहत की सरशारी में कहानी का इख़्तेताम हो जाता है। कहानीकारों के मुशाहेदातो-तज्रबात में रोज़ अफ़ज़ूं रंगारंगी मालूमात में ग़ैरमामूली इज़ाफ़े और तरजीहात के हमागीर तग़य्युरो-तबद्दुल के साथ-साथ कहानियों के लज़ी व मानवी मवाद और असालीबे-इज़हार में भी फैलाव और गहराई आती गई लेकिन इनका बुनियादी सांचा कमो-बेश यकसाँ ही रहा। लोक कहानियों के सरचशमे से आलमी असातीर मज़ाहिबो-रूहानियात और शेरो-अदब भी जी भर के सैराब हुए। लोक कहानियां ख़ूब फली-फूलीं और वक़्त गुज़रने के साथ-साथ इन में तरह-तरह की महारतें बरूए-कार लाई गईं। अफ़साना नावेल ड्रामा दास्तानवी मसनवियां और दौरे-जदीद की कार्टून फ़िल्में और वीडियो गेम्ज़ इन्ही की तरक़्क़ी-याफ़्ता सूरतें हैं।