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About The Book
Description
Author
काव्य-वैदिकी से अब तक अनुभूति से यथार्थ तक का भारतीय कविता-साहित्य ऐतिहासिक संदर्भों और आधुनिक-समकालीन उद्धरणों में चाहे जितने परिवर्तनों भाव-पराभवों से लौटते उर्द्धमुखी होते हुए यहां तक आ पहुंचा हो सब में एक शब्द स्थिर-अमिट और सार्वकालिक है - मनुष्य मनुष्य के मन का अंतरिक्ष अद्यावधि उसकी चेतना की अशेष विकास-यात्रा तक का तो यह काव्य-संकलन (अथवा किसी का भी) संपूर्ण पाठ नहीं करता है न संभव है लेकिन अपने समय की आंख-में-आंख डालकर उसे जानने-पहचानने की किंचित अपने पद्यबंधों में रत्तीभर कोशिश जरूर करता है।