िव्यद्रष्टा आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में ‘मैनेजमेंट गुरु महाप्रज्ञ’ पुस्तक एक गुरु एवं कुशल जीवन प्रबंधक के तौर पर आचार्य महाप्रज्ञ के सुविचारों को पाठकों तक पहुँचाने का प्रयास है। मैनेजमेंट का अर्थ है प्रबंधन।और जीवन में सफलता हेतु सही प्रबंधन का मार्गदर्शन एक गुरु की क्षत्रछाया में प्राप्त होता है क्योंकि गुरु ही अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाता है। इस पुस्तक के माध्यम से पाठक महाप्रज्ञ जी द्वारा गुरु की भूमिका निभाते हुए सफल एवं सार्थक जीवन जीने हेतु जीवन प्रबंधन के कुछ उपायों को अपनाकर भौतिक सफलताओं को प्राप्त कर सकते हैं और आध्यात्मिक शिखर को भी छू सकते हैं। इस पुस्तक में विषय की सारगर्भिता,संक्षिप्तता एवं सम्पूर्णता का विशेष ध्यान रखा गया है। आचार्य महाप्रज्ञ ने व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और विश्व को नवजीवन प्रबंधन का जो विचार दिया निश्चय ही वे व्यक्ति के लिए पथ प्रदर्शक का काम करेगी और सार्थक जीवन जीने की प्रेरणा स्रोत भी बनेगी।About the Authorसमकालीन हिंदी दोहा लेखन में 'दोहों के आधुनिक कबीर' के रूप में विख्यात और लोकप्रिय नरेश शांडिल्य एक प्रतिष्ठित कवि, दोहाकार, शायर, नुक्कड़ नाट्य कर्मी और संपादक हैं। विभिन्न विधाओं में आपके 7 कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। आपने अनेक साहित्यिक पुस्तकों का कुशल संपादन भी किया है। इसमें डायमंड बुक्स से प्रकाशित पुस्तक 'आचार्य महाप्रज्ञ के अमृत वचन' भी सम्मिलित है। एक समीक्षक के रूप में भी आपकी अलग पहचान है। आपको हिंदी अकादमी, दिल्ली सरकार का साहित्यिक कृति सम्मान (1996); वातायन (लंदन) का अंतरराष्ट्रीय कविता सम्मान (2005); कविता का प्रतिष्ठित 'परम्परा ऋतुराज सम्मान' (2010) प्राप्त है। देश ही नहीं विदेशों (इंग्लैंड, बैंकॉक, साउथ अफ्रीका आदि) में आयोजित अनेकानेक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों और कवि सम्मेलनों में भी आपने महत्त्वपूर्ण भागीदारी की है। साहित्य की अंतरराष्ट्रीय त्रैमासिक पत्रिका 'अक्षरम संगोष्ठी' का आपने 12 वर्षों तक कुशल संपादन किया।.
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