यह पुस्तक मध्यम-निम्न वर्ग के सीधे-साधे युवक गोपाल की कहानी है। एक ऐसे युवक की कहानी जिसके अपने शब्दों में- मैं तो एक निकम्मा लड़का था पढ़ा-लिखा एक B.A. बैल। अतः जब मैं घर से दूर पुरुलिया चला गया तो मेरे बारे में किसी ने खोज-खबर नहीं ली। गोपाल जिसको पारिवारिक जिम्मेदारियों ने अपने बोझ तले दबाकर रखा था उस पर कम उम्र में परिवार के बड़े लोगों ने हंसमुख नवयुवती चंचल और अल्हड़ रागिनी से शादी कर एक नई जिम्मेदारी के बोझ से लाद दिया। क्या गोपाल रागिनी की चंचलता को अपने अधीन रख पाएगा। खेल-खेल में रागिनी बहकर कहां से कहां चली गई और गोपाल की जिंदगी में तूफान खड़ा हो गया। क्या होगा गोपाल की जिंदगी का ? पढ़िए इसी कहानी में।‘मनभावन’ उपन्यास से-मैंने महादेव से कहा- महादेव देवाधि-देव मैंने क्या गलत किया? मैं कह रहा था- वो मेरी दुनिया थी...... महादेव! “और एक दिन वो मुझे धोखा देकर चली गई..... मैंने कहा।उसने तुमसे प्यार करने की क्षमता नहीं छीनी.... उसने सिर्फ़ तुम्हारा वो हिस्सा छीना जिस पर आसानी से भरोसा किया जा सकता था।महादेव ने कहा- एक हिस्सा जो बहुत जल्दी बहुत कुछ दे देता है। उस हिस्से को सुरक्षा की ज़रूरत थी।तुम टूटे नहीं हो तुम दुःखी हो और दुःख......बस प्यार है जिसके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है। एक दिन वो प्यार फिर से अपनी जगह पा लेगा- जैसा था वैसा नहीं बल्कि कुछ ज़्यादा समझदारी भरा गहरा और शांत।“तुम्हें लगता है कि तुम फिर से प्यार नहीं कर सकते। लेकिन प्यार...... ने तुम्हें छोड़ा नहीं है वो सिर्फ़ इंतज़ार कर रहा है........ तुम्हारे अपने पास लौटने का।असली प्यार..... गायब नहीं होता। यह अपना रूप बदलता है। एक दिन यह वापस आ सकता है...... उस रूप में नहीं बल्कि शांति के रूप में। या कोई ऐसा रूप जो आपके जख्मों को देखकर भी पीछे न हटे।प्यार तब खत्म नहीं होता जब कोई चला जाता है। यह तब तक जिंदा रहता है जब तक आप उसकी खुशी की कामना कर सकते हैं…… चाहे वह कहीं भी हो।
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