‘मन! बंदिशों से परे’मेरी पहली किताब ‘सफ़र में धूप छाँव’ को मैंने अपनी लेखन यात्रा का एक बड़ा जंक्शन माना हालाँकि सफ़र अभी और भी आगे तक है। उस पहले बड़े जंक्शन से आगे बढ़कर अब मैं अपने लेखन सफ़र में आने वाले दूसरे बड़े जंक्शन पर पहुँच चुका हूँ मेरी रचनाओं का संकलन ‘मन! बंदिशों से परे’ आपके समक्ष है। लेखन का यह पड़ाव भी बहुत सुखद है। विशेष आभार और धनमेरे जीवन के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर जब मैंने इस पुस्तक को प्रकाशित करने के विषय में निर्णय लिया यह कदाचित संभव नहीं होता यदि घर के बड़ों का आशीर्वाद और बंधुजनों का स्नेह न होता। विशेष रूप से मैं अपनी जीवनसंगिनी का आभार व्यक्त करना चाहूँगा जो एक सच्चे मित्र की तरह मुझे हर परिस्थिति में आगे बढ़ते रहने के लिए प्रोत्साहित करती रही। वह विश्वास और प्रोत्साहन मेरे लिए अनमोल है क्योंकि लेखन की इस यात्रा में धैर्य और कई प्रकार की विषम परिस्थितियों से होकर गुज़रना पड़ता है। प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में जिस किसी भी व्यक्ति से मुझे प्रोत्साहन मिला मैं उनका हृदय से आभारी हूँमुझे विश्वास है कि मेरी यह किताब मेरे पाठकों को मुझसे एक नए रूप में परिचित कराएगी। लेखन के इस नए चरण में मुझे गहरी संतुष्टि और आनंद मिल रहा है क्योंकि यह न केवल मेरे व्यक्तित्व का एक और पक्ष उजागर कर रही है बल्कि यह मुझे आत्म-मंथन और आत्मविश्लेषण की ओर भी अग्रसर कर रही है। यह पड़ाव मेरे लिए एक नई दिशा एक नई दृष्टि और नए विचारों के साथ अपने लेखन को और भी समृद्ध करने का अवसर बनकर आया है। मेरे विचारों को मैंने इस पुस्तक के माध्यम से हिन्दी भाषा को समर्पित किया है। हिन्दी कविताओं बाल कविताओं क्षणिकाओं दोहों और अति लघु कहानियों का ये संग्रह हिन्दी प्रेमियों साधकों को पसंद आएगा- यही विश्वास और आशा लेकर मैं अपना यह लेखन-सफर जारी रखूँगा। माँ सरस्वती की असीम कृपा के कारण ही मैं अपने विचारों को एकत्रित कर इस कलात्मक कार्य को सम्पन्न कर सका हूँ इसके लिए मैं माँ शारदे का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ और श्रद्धा भाव से उनके चरणों में नतमस्तक हूँ।!!
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.