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About The Book
Description
Author
ठिठुरते जाड़े में तेरे प्रेम की गरमाहट से सूफ़ी क़लंदर के तन पर लिपटी मोटी सूती चादर से हमारी फ़क़ीरी के आलम में इश्क़ की नवाबी शान से संजीदा उमरों के बीच दिल की शोख़ नादानियों से तेरे कांधे पर रखे सर से मिलने वाली राहत से तेरे हौसले भरोसे और अपनेपन के आफ़ताब से लिखे हैं लव नोट्स! जो तुमसे कभी कहे तो नहीं गए पर यकीं है कि तुमने सुन ही लिए होंगे। ये सतरें... मेरा इश्क़ मेरी इबादत मेरी आश्ना मेरा जुनूँ मेरी कलम मेरा कलमा ये हैं मन के मंजीरे! इश्क़ की हर बात कह देने के बाद भी बात अधूरी जान पड़ती है और लगता है कि बस वही तो कहना था जो अब भी कहना बाक़ी है। कह देने और न कह पाने की इसी जद्दोजहद का नतीजा हैं ये मन के मंजीरे... रचना भोला यामिनी ने पिछले दो दशकों में अनगिनत पुस्तकों के अनुवाद किये हैं। मौलिक लेखन में उनकी कृतियाँ याज्ञसेनी और प्रयास उल्लेखनीय हैं। मन के मंजीरे में रचना भोला यामिनी ने आत्मिक प्रेम की अनुभूतियों को बड़ी सहजता और बेहद खूबसूरती से कागज़ पर उतारा है।