Mann To Satrangi Hai
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अपने सुधी पाठकों के हाथों अपना तीसरा कविता संग्रह सौंपकर बहुत प्रसन्न हूँ। इस कविता संग्रह में भी पिछले संग्रह की ही तरह जीवन के विभिन्न पक्षों पर जो मेरे अल्प ज्ञान ने मुझे प्रेरित किया आप प्रबुद्ध सुधीजनों के समक्ष लाने का प्रयास किया है। जीवन से सामाजिक सरोकारों व घटित होती प्रभावित करती हर घटना का कहीं न कहीं किसी रूप में अटूट जुड़ाव सा होता ही है। मन को प्रभावित करता या छू जाता कोई न कोई प्रसंग क़लम को उकसाता सा काग़ज़ पर उतर ही आता है। इस कविता संग्रह में जो भी विषय कविता रूप ले बैठा वो कहीं न कहीं मेरे देखे भोगे समय का एक भाग ही है। जीवन में जो भोगा कहीं पंक्तियों में आ ही जाता है मेरे। आपके स्नेह और आशीर्वाद का हमेशा आकांक्षी रहा हूँ। मेरा प्रणाम !
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