मज़िल दुनिया के लिए मेरे द्वारा रचा गया काव्य संग्रह है पर मेरे लिए यह मेरे जीवन में घटित उतार-चढ़ाव का वह हिस्सा है जिसे मैंने गमों के राह पर भी चलकर कलम के सुगंध से उकेरने का प्रयास किया है। मैं एक छात्र जीवन में जो भी कष्ट होते हैं वह पहले के भी छात्र को हुए होंगे और आज के भी छात्र भुगत रहे हैं; छात्र होने के साथ-साथ सभी उतार-चढ़ाव को देखते हुए उन उतार-चढ़ाव को मैंने कलम के पिंजरे में कैद करने का प्रयास किया है।मैंने सब कुछ देखने के बाद भी कलम की सुगंध को अपने से अलग नहीं किया और मैंने उसके साथ रहकर अभी तक ज़िंदगी में घटित सभी घटकों को इस काव्य संग्रह के रूप में एकत्र किया है।
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