Mashhoor Shayaron kee Pratinidhi Shayari Bahadur Shah Zafar


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE

Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Fast Delivery
Fast Delivery
Sustainably Printed
Sustainably Printed
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.

About The Book

जब था साकी यार हमारा हम थे और मैलाता था अब वो दिन कहाँ कैफियत के वो भी एक जमाना था. जब से बसा तू दिल में आकर हुई है सूरत आबादी रहता था कौन आ के इसमें ये तो एक वीराला था. बहादुर शाह जफर भारत में मुगल साम्राज्य के अंतिम बादशाह और उर्दू के जाने-माने शायर थे। उनकी ऐसी कई बेहतरीन शायरियाँ आपको इस किताब में पड़ने को मिल जाएँगी. उन्होंने 1857 ई. के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सिपाहियों का नेतृत्व किया था। युद्ध में पराजय के बाद अंग्रेज़ों ने उन्हें बर्मा (म्यांमार) भेज दिया जहाँ उनकी मृत्यु हुई। बादशाह जफर ने जब रंजून में कारावास के दौरान अपनी आखिरी साँस ली तो कहा जाता है कि शायद उनके लबों पर अपनी ही मशहूर गजल का यह शेर जरूर रहा होगा कितना है बदनसीब जफरत के लिए. दो गज जमीन भी न मिली कू-ए-चार में। उसी किताब से
downArrow

Details