यह काव्य-सग्रंह जिंदगी की खट्टी-मीठी और समाज में घटनेवाली सच्ची घटनाओं को कलमबद्ध करने का एक प्रयास है। और उन सभी लोगों को समर्पित है जो अपने दिल की बात दिल में लिए ही जीते हैं और उनका दर्द सहते-सहते इस दुनिया को अपने अनुभवों से वंचित कर चले जाते हैं।. लेखकगण :. रश्मि सिंह एक समाज सेविका हैं जिनका रुझान साहित्य में नैसर्गिक रूप से रहा है। समाज कार्य में स्नातकोत्तर की डिग्री बच्चे तथा महिला सुधार में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त कर कई गैर-सरकारी संगठनों में कार्य किया है। उन्होंने एक स्वतंत्र पत्रकार की हैसियत से भी कार्य किया है जहाँ उन्होंने चुनाव जैसे संवेदनशील समय में सच्ची घटनाओं को कलमबद्ध किया। बाल-शोषण और बिखरते परिवार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी वार्ता विविध भारती रेडियो पर प्रसारित हो चुके हैं। रश्मि द्वारा लिखित कई कवितायेँ पूर्व में समाचार-पत्रों और अन्य पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।. सुशान्त सिंह पेशे से एक आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस वैज्ञानिक हैं। उन्होंने भारत से पर्यावरण विज्ञान में पी. एच. डी. करने के बाद अमेरिका से पुनः पर्यावरण प्रबंधन में पी. एच. डी. की। उन्होंने ५० से भी ज्यादा शोध-पत्र प्रकाशित किये हैं। उन्होंने कई किताबें और किताबों के अध्याय भी लिखे हैं। साहित्य में उनकी विशेष रूचि रही है और समाज में घटित घटनाएं उनके प्रेरणाश्रोत रहे हैं। उन्होंने कई कविताएं भी प्रकाशित की हैं।
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